बर्बाद किया इस कदर मुझ को,
तुम्हें बददुआ सारे-आम की लगे
न मेहंदी लगी थी उस के नाम की तुमको,
न मेहंदी कभी मेरे नाम की लगे
जितनी मोहब्बत उस से थी तुमको,
मुझे उतनी आज तक नहीं करती,
चोरी तो छोड़ो, मेरी खातिर तुम
चोरी से बात तक नहीं करती
उस के दिल को दो तसल्ली,
मेरे सीने को ठंडक कहाँ ज़रूरी है?
ये मुसकाना, हँसना भी तुम
वहीं करो जहाँ ज़रूरी है?
सच्चाई का नाटक करती,
बाकी राज़ छुपाती,
कुछ दिखाती मुझ को, बाकी
कुछ अलफाज़ छुपाती
उसकी बाहों में शिमला घूमो,
फिर से जाना उसके साथ,
मेरे अरमाँ, मोहताज है तेरे
करते हवा से बात
मुझ पर तोहमत, दोगला हूँ
धोखा तुम से करता हूँ?
काश जानती, तेरी खातिर
रोज़ मैं कितना मरता हूँ
तुम तो सो गई, इल्ज़ाम लगा कर
क्या जानो मेरी कैसे बीती रात?
हर सांस पूछती, क्या यही है
जो करती थी भरोसे की बात?
रक़ीब से कह लो तुम रोज़,
मिल कर सब ठीक कर लेंगे
जहां दफन करेंगे 'अमन' को,
वहीं अपना नया घर लेंगे ।
तुम्हें बददुआ सारे-आम की लगे
न मेहंदी लगी थी उस के नाम की तुमको,
न मेहंदी कभी मेरे नाम की लगे
जितनी मोहब्बत उस से थी तुमको,
मुझे उतनी आज तक नहीं करती,
चोरी तो छोड़ो, मेरी खातिर तुम
चोरी से बात तक नहीं करती
उस के दिल को दो तसल्ली,
मेरे सीने को ठंडक कहाँ ज़रूरी है?
ये मुसकाना, हँसना भी तुम
वहीं करो जहाँ ज़रूरी है?
सच्चाई का नाटक करती,
बाकी राज़ छुपाती,
कुछ दिखाती मुझ को, बाकी
कुछ अलफाज़ छुपाती
उसकी बाहों में शिमला घूमो,
फिर से जाना उसके साथ,
मेरे अरमाँ, मोहताज है तेरे
करते हवा से बात
मुझ पर तोहमत, दोगला हूँ
धोखा तुम से करता हूँ?
काश जानती, तेरी खातिर
रोज़ मैं कितना मरता हूँ
तुम तो सो गई, इल्ज़ाम लगा कर
क्या जानो मेरी कैसे बीती रात?
हर सांस पूछती, क्या यही है
जो करती थी भरोसे की बात?
रक़ीब से कह लो तुम रोज़,
मिल कर सब ठीक कर लेंगे
जहां दफन करेंगे 'अमन' को,
वहीं अपना नया घर लेंगे ।