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Tuesday, May 10, 2011

47) बरसों के दर्द के साथ

बरसों के दर्द के साथ, जब आह निकल गयी,
वो इश्क निकल गया, संगदिल की चाह निकल गयी|

देख उन के जलवे, सब हैरान हैं जब वो
लहरा हवा में आँचल, यूँ सरे राह निकल गयी|

जो तुझे बता ना पाया, वो शर्म-ओ-हया की बात,
सो कलम से हो कागज़ पर, बेपनाह निकल गयी|

टकरा के मेरे दिल से, गूँजी है तेरी हर बात,
सो नज़र जिगर के पार कुछ इस तराह निकल गयी|

कभी आशिक की तुरबत से हो कर, तुम गुजर गए,
कभी गलियों से खुद मेरी, दरगाह निकल गयी|

रोक रखी थी जान के इंतज़ार में ही जान,
आये तो जान के साथ 'सुभानल्लाह' निकल गयी|

ज़ानों पर बैठा था, हाथ में मोहब्बत-ऐ-गुल लिए,
वो नज़र हिला के मौज में, बेपरवाह निकल गयी|

क्यों उन ही से मोहब्बत होनी थी, मुझ गरीब को?
दिल के आर-पार, नज़र-ऐ-ज़ादी-ऐ-शाह निकल गयी|

क्यों मेरी तरह भंवरों ने भी रखा है दिल पर हाथ,
शायद गुलशन से भी उस की इक निगाह निकल गयी|

'अमन' को भी है कदर-ओ-हवस, मेरी शायरी की,
जो बेइख्तियार ज़ुबान से भी, वाह निकल गयी|

Meanings: संगदिल-stone heart, हैरान-astonished, शर्म-ओ-हया-blushing and shyness
         इस तराह-in such a way (इस तरह), तुरबत-coffin, ज़ान-knees
         ज़ादी-ए-शाह-princess (शहज़ादी), नज़र-ए-ज़ादी-ए-शाह-a look of princess
         क़दर-ओ-हवस-respect and wish, बेइख्तियार-uncontrolled, वाह-wow

Wednesday, May 4, 2011

46) शायराना हो गए हम

शायराना हो गए हम ऐतबार में,
खुशी मिली है कब-किसे उजड़ी बहार में?

मुस्कुराता हूँ तेरे बिना भी जानशीन,
दर्द दिखता हो भले मेरे अशार में|

उम्मीद लाऊँ कैसे मैं तेरे नाम पर?
बिखर चुके हैं अरमां सब तार-तार में|

वफ़ा नहीं मिली उसके खून में वरना,
खूबियाँ हज़ार हैं मेरे यार में|

वो कह गए थोड़ी सी देर में आने को,
यहाँ लाश हो गए हैं हम इंतज़ार में|

हमने दिल दिया था उनको बड़े शौक से,
उसने बेच दिया उसे दिल के बाज़ार में|

दुनिया पागल कह कर हँसती है दीवाने पर,
ऐसा लुटा 'अमन' एक 'तँवर' के प्यार में|

Meanings: ऐतबार-trust जानशीन-an address to
         beloved अशार-plural of शेर, couplets in urdu poetry
         उम्मीद-hope अरमां-dreams तार-तार में-into pieces
         वफ़ा-faithfulness, खूबियाँ-qualities दीवाना-crazy

45) हर दिन एक आग थी

हर दिन एक आग थी, ज़िंदा-दिल हर रात थी,
जब थे जवान, जवानी की कुछ और बात थी|

कुछ नया करने को मचलता था दिल,
वो दस्त्कारियाँ पल-पल की, वो तमन्नाएँ साथ थी|

कहाँ जिंदगी ले जायेगी, फर्क नहीं पड़ता था|
बस वलवले थे सीने में, बातें सब जज़्बात थीं|

दिमाग में कुछ कर गुजरने का जूनून रहता था,
तेज याद, तेज दिमाग, तेज हर बात थी|

दुनिया को उलट-पुलट कर देने की चाहत थी,
हमसे होते गुलशन, हमी से वीरानों में बरसात थी|

जोश मन में होता था, एक चटकी थी बदन में,
'अमन' हर चीज़ हमको मुँह-ज़बानी याद थी|

Meanings: जिंदा-दिल-full of life दस्त्कारियाँ-innovative activities वलवले-enthusiasm
जुनून-crazy गुलशन-gardens वीराना-barren land चटकी-quickness

44) उनसे डरना क्या?

उनसे डरना क्या? क्या मौत से डर अपना?
वो कहे तो काट भेजूँ मैं ये सर अपना|

जिसे पता नहीं मोहब्बत किस दर्द को कहते हैं,
उसे समझाऊँ कैसे मैं हाल-ए-जिगर अपना?

दिया असर नहीं करता इस गरीब-खाने में,
बिना जले कब रौशन हुआ है घर अपना?

सारा ज़माना उसने अपने हक में कर लिया,
किस्सा-ए-जफा बयाँ किया ये किस क़दर अपना?

इतनी बदहवासी के देख भी न सका,
ठोकर खाता फिरता है कोई दर-बदर अपना|

भरी महफ़िल में कैसे तुझ पर ज़ाहिर करता मैं?
अंदर ही अंदर सीने में जो बना ग़दर अपना?

अदा से गलियों में गुज़रना क्या हुआ उनका?
हो गया दुनिया-जहान से ही गुज़र अपना|

तुमने सरे बाज़ार 'अमन' का नाम किया रुसवा|
पर आखें थीं कुछ और, कहता है नामबर अपना|

Meanings: हाल-ए-जिगर-situation of heart दीया-lamp गरीब-खाना-house of a poor
रौशन-enlightened हक-favor किस्सा-story जफ़ा-betrayal बयाँ-describe कदर-way
किस्सा-ए-......किया अपना-in what manner did she describe the story of infidelity?
बदहवासी-unconscious दर-बदर-door to door ज़ाहिर-express ग़दर-revolution
अदा-obsession दुनिया से गुज़ारना-to die सरे बाजार-in public
रुसवा-dishonor नामबर-messenger