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Thursday, March 17, 2011

38) सात साल तक हम दोनों ने

सात साल तक हम दोनों ने, खून जला गुज़ारे हैं|
टूट गए सो गम नहीं, आखिर ये ख़्वाब हमारे हैं|

दुआ-दुआ चिल्लाता था पर मिली न एक भी मरते दम,
और दुआ माँगने मज़ार पे मेरी, लोग कितने सारे हैं|

हर रात किस्मत ढूँढता था, देख आसमां का मंज़र,
मेरी किस्मत का एक नहीं, और सब के लाख सितारे हैं|

बेवजह सब जी रहे, और बेक़दर है जिंदगी,
जला के नक़्शे, हाथ सेक, अब फिरते मारे-मारे हैं|

तू छोड़ इनकी फ़िक्र वरना, अपनी कदर गँवाएगा,
ये पहले भी बेचारे थे, ये आज भी बेचारे हैं|

वो शराब नीचे गिरा रही है, और लोग फर्श से पी रहे,
क्या खूब नशे के प्यासे हैं, क्या खूब आज नज़ारे हैं|

देख लंगड़े की बैसाखी, रोया 'अमन' तू इस क़दर,
के तुम भी बेसहारे हो और हम भी बेसहारे हैं|

Meanings: ख्वाब-dreams दुआ-blessings मज़ार-grave मंज़र-view किस्मत-luck
         बेवजह-without reason बेकदर-without respect नक़्शे-maps सेकना-basking
          मारे-मारे-door to door बेचारे-poor नज़ारे-views बैसाखी-crutch बेसहारे-helpless

Wednesday, March 16, 2011

37) है आज क़यामत

है आज क़यामत, मेरे घर की हर इक ईंट ढह गयी,
माशूक खंजर लायी थी, पर मुझे बेवफा कह गयी|

आज की रात है बेखुदी, यारों मुझे अब मत पिलाओ,
वो दिख रही है हर जगह, यह गयी, वो वह गयी|

आशिक हूँ मैं, इक खत लिख कर कागज़ की नाव बनायी थी,
ऐ काश! उनको मिलती पर, बारिश में घिर कर बह गयी|

वो किसी और की हो गयी, मैं किसी का भी न हो सका,
हर बात मुझको तड़पती, हर याद को वो सह गयी|

जी रहा था चैन की एक साँस के इंतज़ार में,
चैन-ओ-'अमन' को पाना, मेरी हसरत बन कर रह गयी|

Meanings: क़यामत-catastrophe माशूक-beloved खंजर-dagger बेवफ़ा-infidel
         बेखुदी-unconsciousness अमन-peace (here, also the nom de plume)
         हसरत-wish

36) ऐ पगली, मेरी मौत तो

ऐ पगली, मेरी मौत तो, तेरी दिली तमन्ना थी,
के जला है मेरा आशियाना, जार जार अब रोए क्या?

दुनिया से डर से एक भी आँसू नहीं गिराया, हाय-हाय,
देखने वाले चल दिए, तू अब दामन भिगोए क्या?

फ़कीर तुझसे माँगता था दुआ के बदले आने चार,
सात आसमां देख कर अब, आँख अपनी खोए क्या?

था ख्याल टूट-टूट, दरवाज़े पर जाता बार-बार,
ये हवा भी दर हिला कर दिल में ख़्वाब संजोये क्या?

तू दर्द मेरा समझे क्या? याद मेरी आये क्यूँ?
जो घर बसाए हाथों से, वो अपनी नाव डुबोए क्या?

सुकून मिला न उम्र भर, कोशिश-कोशिश में मरा 'अमन',
गर मुरझाये न मुद्दत तक तो, सिवा-ऐ-खार कुछ बोए क्या?

Meanings: दिली तमन्ना-desperate want आशियाना-home ज़ार-ज़ार-to cry in full volume
         फ़कीर-saint आने-1/16th part of a Rupee (in British times) ख़याल-thought
         दर-door ख्वाब-dreams सुकून-rest उम्र भर-entire life गर-if मुद्दत-for a long time
         सिवा-except ख़ार-thorns सिवा-ए-ख़ार.....-what to sow except thorns

Thursday, March 10, 2011

35) जाती नहीं इस रात

जाती नहीं इस रात क्यूँ तुम अपने घर, कहो?
क्यों राह चलते मुझे देख, झुकी ये नज़र कहो?

खता तो वो की है, भला क्या जवाब दोगी तुम?
यकीन तेरी सफाई पर रहा नहीं, मगर कहो|

छोड़  न दे वो, बुरा ना मान जाए कहीं,
मांगूँ जो मोहब्बत में सिर्फ एक, बोसा अगर कहो|

मुद्दत से यार के पैगाम का इंतज़ार है,
क्या महबूब का खत लाये हो? नामबर कहो|

चाहता नहीं के इश्क-ऐ-इज़हार हो सरे आम,
इल्तिजा अजनबी, धीरे से, अपना नाम भर कहो|

जो नहीं है तेरे पास, किसी को क्या देगा सौगात 'अमन'?
ये  बात किसी को सिवाए, दर्द-ओ-गम देकर कहो|

Meanings: नज़र-eyes खता-mistake यकीन-belief सफाई-clearification
         बोसा-kiss मुद्दत-a long time पैगाम-message महबूब-beloved
         नामबर-messenger इश्क-ए-इज़हार-expression of love
         सरे आम-in public इल्तिजा-request अजनबी-stranger
          सौगात-gift दर्द-ओ-गम-pain and sorrow सिवाय-except

Wednesday, March 2, 2011

34) इक ज़ख्म बना था दोस्त

इक ज़ख्म बना था दोस्त मेरा, उसको मैंने भरने ना दिया|
कुरेदता रहा उम्र भर उसको, दोस्त को मरने ना दिया|
जब तक मैं ज़िंदा हूँ, ज़ख्म भी जिंदा रखूंगा|
अब दर्द हो तो हो, तन्हाई तो न होगी|

आखिरी बार जाना मुझे, लगा ख्वाइश-ए-ज़हर था|
इस दफा तो यूँ लगा, जैसे मेरा ही शहर था|
वही दर-ओ-दीवार थे, उसी में थी तू|
महज़ ख्याल ही सही, रुसवाई तो न होगी|

जाता नहीं मैं खुदा के दर, भला वो भी तो है इक पत्थर|
फिर कैसे ज़माने को उसमें, खुदा की मूरत दिखती है?
जग रब की करे इबादत, मैं करूँ इबादत यार की|
फिर लाख दो ताने, दिल में बेपरवाई तो न होगी|

शराब भी नहीं पीता, डर है, कहीं अमन न दिखे बेखुदी में|
नशे में, लोगों ने कहा है, यार की सूरत दिखती है|
ना उनके दिखे से दिल में ठंडक, न जाम से सुकून-ऐ-जिगर,
अब आग लगे सो लगे बज़्म-ऐ-दिल, सुनवाई तो न होगी|

Meanings: ज़ख्म-wound ख्वाईश-ए-ज़हर-wish to have poison
         एक दफा-once दर-ओ-दीवार-door and walls महज़-only
         रुसवाई-dis-honor खुदा का दर-Temple इबादत-worship
         ताने-taunts बेपरवाई-carelessness बेखुदी-unconsciousness (here, drunken)
         सुकून-rest जिगर-liver बज़्म-court सुनवाई-hearing of a court

33) मेरे चेहरे से वो नकाब,

मेरे चेहरे से वो नकाब,
हटा देना उसका,

दिल-ए-गम क्या? दिल का ही,
मिटा देना उसका|

मेरे लब चूमने की खातिर वो,
नज़दीक आना मेरे,

और बेईख्तियारी में वो दीवार से,
सटा देना उसका|

Meanings: नकाब-a piece of veil to cover face दिल-ए-गम-pain of heart
          लब-lips नज़दीक-close बेईख्तियारी-out of control दीवार-wall

32) हँसता हूँ जब कहती हो


हँसता हूँ जब कहती हो, कुछ हो नहीं सकता,
लगे दाग-ए-जिगर को, कोई धो नहीं सकता|

कैसा लगा है ये दिल, इक नादान अजनबी से?
जो रुला तो देता है खून, खुद रो नहीं सकता|

31) हो गयी थी नफरत

हो गयी थी नफरत, फिर भी होती क्यूँ महसूस,
तेरे घर के,करीब मेरी मज़ार, बनाने की ज़रूरत थी?

मेरे जाने के बाद भी उसका एक आशिक दूसरा था,
इक रोज तो मुझको भी देर से, आने की ज़रूरत थी|

मेरी तुरबत पे पहली दफा, इश्क-ऐ-इज़हार किया तुमने,
तुझको भी गिला है कि, जीते-जी जताने की ज़रूरत थी|

न दवा की हसरत थी, न दारू पुरानी हो अमन,
मुझे नज़र-ऐ-प्यार-ऐ-यार, पुराने की ज़रूरत थी|

गए ज़फर-आतिश, और गए वो ग़ालिब-मीर,
मुझे भी उस रेख्ते के ज़माने की ज़रूरत थी|

तेरी समझेगा 'अमन' कौन, इस राह में बातें?
उन्हीं के दौर में तुझको भी, जाने की ज़रूरत थी|

Meanings: नफरत-hate मज़ार-grave ज़रूरत-need इक रोज-some day
          तुरबत-coffin पहली दफा-first time इज़हार-express गिला-sorrow
         जीते-जी-while living दारू-wine नज़र-sight
         नज़र-ए-प्यार-ए-यार-a look of beloved with love
         ज़फर-Bahadur Shah 'Zafar' - II, आतिश-Khwaza Haider Ali 'Aatish'
         ग़ालिब-Asadullah Mirza 'Ghalib', मीर-Mir Taki Mir
         रेख्ता-A poetic form of urdu in mid 1800's दौर-times

30) है हिम्मत, कि कर लो तुम

है हिम्मत, कि कर लो तुम, इकरार दुनिया के सामने?
फिर क्यों कहूँ तुझको मैं अपना, यार दुनिया के सामने?

तेरी मोहब्बत ने मुझ को छोड़ा ही कहाँ का?
तू जा, के अब मैं रोऊँगा, जार-जार दुनिया के सामने|

मैंने तो छुपानी चाही थी, तूने नीलाम ही कर डाली|
मोहब्बत का ये क्या किया, मेरे यार दुनिया के सामने?

जो करता नहीं क़ुबूल मोहब्बत, खत में, न तो ख़्वाब में,
क्या ख़ाक करेगा वो भला फिर, प्यार दुनिया के सामने?

ये ले खंजर, ये मैं 'अमन', गर इश्क नहीं है मुझसे,
तो आज है इम्तिहान, कर दे, आर-पार दुनिया के सामने|

Meanings:  इकरार-accept जार-जार-to cry in full volume नीलाम-auction
           क़ुबूल-accept गर-if इम्तिहान-exam

29) आसाँ नहीं होता था, तेरे

आसाँ नहीं होता था, तेरे शहर से यूँ निकल जाना|
यूँ मान, के होता था इक, ज़हर का निगल जाना|

बात बदल देने की तेरी, खू प्यारी थी मुझको|
पर देखा नहीं था कभी तेरा ही, मोहब्बत से बदल जाना|

मरती थी मुझपे, करती थी मजाक, खंजर ले-ले के|
पर लहू जो देखा तेरा, तभी अपना कतल जाना|

क्या प्यारा न था तुझमें, इक छोड़ कर डरना खुद से?
इक निकाह दुसरे से और इक, हसरत-ए-गैर वतन जाना|

दिन क्या गुज़रता था जो तू, दिखती थी कभी-कभी|
कब-कब तेरा आना और, कब-कब में निकल जाना|

क्यूँ पैड़ मिटाऊँ मैं ही तेरे, क़दमों की ऐ 'अमन'?
आशिक भरे पड़े हैं तेरे, गली-गली गुजर जाना|

Meanings: आसाँ-easy निगलना-to swallow खू-habit लहू-blood कतल-murder
         निकाह-marriage हसरत-wish गैर वतन जाना-to go abroad
         पैड़-foot prints आशिक़-lovers

28) शब गहराई, सोचता हूँ

शब गहराई, सोचता हूँ कैसे सेहरा हो|
ना तू निकली, ना दिन, जैसे दोनों पर पहरा हो|
तू ज़ेबा दुल्हन मेरी थी, मैं आशिक तुरबत तक|
ना समझी, ना समझेगी गम, कितना ही गहरा हो|

सपना था मैं पाऊंगा, तुझको इन बाहों में,
फिर छोड़ गयी मुझको ये तू कैसी राहों में?
और खड़ा रहा मैं वहीँ अकेला तनहा सा जैसे,
इंतज़ार-ए-बारिश में, खुद बादल ठहरा हो|

तू है ज़ालिम हूर, पर ऎसी भी क्या मजबूर?
के याद तलक ना आये, ये कैसे किया मंज़ूर?
रास नहीं आया तुझको कुंदन सा मेरा प्यार 'अमन',
तुझे चीज़ चाहिए वो, जिसका सिर्फ रंग सुनहरा हो|

Meanings: शब-night सेहरा-morning ज़ेबा-beautiful तुरबत-grave तनहा-alone
          ज़ालिम-cruel हूर-an angel in fictions considered to be considered to be
          extremely of beauty कुंदन-pure gold सुनहरा-golden color

27) क्या आशिक हैं, माशूक हैं

क्या आशिक हैं, माशूक हैं, इश्क को जो कर देखते हैं|
वो तो मजाक-मजाक में भी, नाला हो-हो कर देखते हैं|

हम शीशे पर लिख गए खून से, वो ख़याल-ए-हुस्न में खोये थे|
गुरूर में अपना हुस्न उसी, शीशे को धो कर देखते है|

गालों पर आँसू सूख गए, मुस्कुराया लेकर सुर्ख-ए-लब|
मैं भूल गया था दर्द को, आज फिर से रो कर देखते हैं|

वो दर्द-ए-आसमाँ है, जला-जला सा जहां 'अमन',
खत साथ लिपटा होता है जब, वो छत से पत्थर फेंकते हैं|

Meanings: आशिक-lover माशूक़-beloved नाला-sore ख़याल-thoughts
          गुरूर-ego हुस्न-beauty सुर्ख-ए-लब-dry lips दर्द-ए-आसमां-sky of sorrow

26) ख्वाइश-ए-आखरत वहमी है

ख्वाइश-ए-आखरत वहमी है, जिंदगी खुद गलत फहमी है|
दिल तेरे एहसान तले है, याद भी सहमी सहमी है|

हो लाख शौक दुनिया को, तेरी महफ़िल सजाने का,
मैं क्यूँ बनूँ कायल तेरी ही बज़्म में आने का?
दिया होगा सबको मलहम तूने दर्द-ए-ज़माने का,
मेरी खातिर तो आज तलक, तू वही बे-रहमी है|

मैं जज्बा-ए-शिकार था, दिल भी कुछ बीमार था
ज़ख्म कुरेदने आया जो, वो मेरा ही यार था
कैसा तो वो प्यार था? अहम अड़ा था प्यार में,
और मुद्दत के बाद भी तू, आज तलक अहमी है,

तेरे कदमों में ये सर था, फकत उल्फत का ही तो डर था|
मौत तेरे घर पर थी, या बर्बादी का वो दर था?
है इल्तिजा इतनी 'अमन', के याद तू रखना मुझे,
जिंदगी तो शुरुआत थी, अभी मौत भी मुझे सहनी है|

Meanings: ख्वाईश-wish आखरत-time of death  कायल-convince बज़्म-court
          आज तलक-till date जज्बा-zeal ज़ख्म-wound अहमी-egoistic
          फ़कत-only उल्फत-love इल्तिजा-request