वो मेरी जान है, उसके बिना रहूँ कैसे?
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
जो मेरे सीने से लग के सो जाती थी,
लब छूते ही जो पागल सी हो जाती थी,
भर के बाहों में मुझे खुद ही खो जाती थी,
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
जो सदा करती थी हर हाल में ख़याल मेरा,
जिसकी अंगड़ाईयाँ करती थी बुरा हाल मेरा,
वो रखा करती थी संभाल के रुमाल मेरा,
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?

कान खाती थी वो, ढेर सी बातें करती,
मैंने चूमा जो गर्दन को तो आहें भारती,
मैं उस पे मरता था, वो भी मुझ पर मरती,
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
रख के मेरे पैर पे वो पैर, खड़ी होती थी,
थी वो छोटी सी, मुझे पे चढ़ के बड़ी होती थी,
गम जो होता तो चिपक के मुझ से, रोती थी,
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
एक दिन अचानक वो मुझे छोड़ गई,
बहुत रोया मैं, दिल वो मेरा तोड़ गई,
और वो भी मेरी यादों में रोती है,
तकिये को मेरा सीना समझ के सोती है,
और कहती भी नहीं, गम ये मैं सहूँ कैसे?
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
जो मेरे सीने से लग के सो जाती थी,
लब छूते ही जो पागल सी हो जाती थी,
भर के बाहों में मुझे खुद ही खो जाती थी,
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
जो सदा करती थी हर हाल में ख़याल मेरा,
जिसकी अंगड़ाईयाँ करती थी बुरा हाल मेरा,
वो रखा करती थी संभाल के रुमाल मेरा,
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?

कान खाती थी वो, ढेर सी बातें करती,
मैंने चूमा जो गर्दन को तो आहें भारती,
मैं उस पे मरता था, वो भी मुझ पर मरती,
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
रख के मेरे पैर पे वो पैर, खड़ी होती थी,
थी वो छोटी सी, मुझे पे चढ़ के बड़ी होती थी,
गम जो होता तो चिपक के मुझ से, रोती थी,
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
एक दिन अचानक वो मुझे छोड़ गई,
बहुत रोया मैं, दिल वो मेरा तोड़ गई,
और वो भी मेरी यादों में रोती है,
तकिये को मेरा सीना समझ के सोती है,
और कहती भी नहीं, गम ये मैं सहूँ कैसे?
उसे बेवफ़ा कहूँ तो कहूँ कैसे?
Ye to na maine kabhi maanga tha Dua mai, ki rehnuma he mera kaatil nikle
ReplyDeleteG.C
So touching!
ReplyDeleteSir apko b sirf teacher khu to khu kaise..
ReplyDeleteBhot achha likha h..
वाह गुरू जी तोङ कर दिया आप ने तो
ReplyDeletewhao... !!!
ReplyDeletekya baat h sir,poem dil ko choo gyi
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