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Tuesday, February 15, 2011

25) दिल में रख कर भी कहती है

दिल में रख कर भी कहती है, याद नहीं करती,
बेवफा है, बेवफा सी बात नहीं करती|

तेरे शौक-ए-सुर्ख जोड़े ने, मेरा क़त्ल किया वरना,
लिबास-ए-बेवा रंगने को, मुझ पे घात नहीं करती|

कलेजा चीर के भेजा था, पर देखा ही नहीं तुमने,
गोया बंद खत की वापस यूं, सौगात नहीं करती|

जुदाई-ए-उल्फत के गम में तू, रोती थी दिन रात,
सुना है, आज कल तू, वैसी बरसात नहीं करती|


तेरे लब चूमने का नशा, हर पल को रहता था,
शराब तो वैसा नशा, पूरी रात नहीं करती|

तू समझ ही नहीं पायी कभी, खुद ही के जज्बात,
वरना दिल मेरा तोड़ के, खुद को यूं बर्बाद नहीं करती|

तुझे इश्क था मुझ से 'अमन', अब मान भी जा क्योंकि,
रो कर भी मेरी हालत पर, तू फ़रियाद नहीं करती|

Meanings: शौक-ए-सुर्ख जोड़ा-wish to have drapery of a married woman
          लिबास-clothes, बेवा-widow, लिबास-ए-बेवा-customary white clothes of a widow
          उल्फ़त-to be happy on being close to someone (love)
          लब-lips जज़्बात-emotions फ़रियाद-request

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