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Wednesday, April 27, 2011

41) तुम्हें चाहूँ तो हो गुनाह

तुम्हें चाहूँ तो हो गुनाह, पे सीने में वबा है, उसका क्या?
खत लिखूँ तो भी कुसूर, जो न लिखूँ तो भी खता|

इतनी जवान, के हर इंसान, तुझे चाहता है जान-ए-जाँ|
ऐसा हुस्न के सौ बरस बहार न हों तो क्या हुआ?

तू हसीन दिलकश परी, के हूर भी है परेशाँ,
और मुझे देखना तेरा पर्दा हटा-हटा के ज़रा-ज़रा|

प्यार पे बस नहीं मेरा, अब हो गया सो हो गया|
नाम तेरा लूँ कहाँ? समझ भी जा दिल की ज़ुबां|

बस एक बार तू मुझको, अपना बना ले दिलरुबा|
के कह गए हैं संत-फ़कीर, कर भला तो हो भला|

'अमन'-ए-उसूल-ए-मोहब्बत है कि सबसे प्यार करता जा|
के एक डाल पर दो गुल भी खिल सकते हैं बावफ़ा|

Meanings: गुनाह-crime, पे-but वबा-epidemic (here, revolution) खता-mistake
         हूर-a fictious angel considered to be maxima of beauty ज़रा-ज़रा-little bit
         जुबां-language उसूल-principle बावफ़ा-without being infidel

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