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Wednesday, May 4, 2011

46) शायराना हो गए हम

शायराना हो गए हम ऐतबार में,
खुशी मिली है कब-किसे उजड़ी बहार में?

मुस्कुराता हूँ तेरे बिना भी जानशीन,
दर्द दिखता हो भले मेरे अशार में|

उम्मीद लाऊँ कैसे मैं तेरे नाम पर?
बिखर चुके हैं अरमां सब तार-तार में|

वफ़ा नहीं मिली उसके खून में वरना,
खूबियाँ हज़ार हैं मेरे यार में|

वो कह गए थोड़ी सी देर में आने को,
यहाँ लाश हो गए हैं हम इंतज़ार में|

हमने दिल दिया था उनको बड़े शौक से,
उसने बेच दिया उसे दिल के बाज़ार में|

दुनिया पागल कह कर हँसती है दीवाने पर,
ऐसा लुटा 'अमन' एक 'तँवर' के प्यार में|

Meanings: ऐतबार-trust जानशीन-an address to
         beloved अशार-plural of शेर, couplets in urdu poetry
         उम्मीद-hope अरमां-dreams तार-तार में-into pieces
         वफ़ा-faithfulness, खूबियाँ-qualities दीवाना-crazy

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