
तेरे घर के,करीब मेरी मज़ार, बनाने की ज़रूरत थी?
मेरे जाने के बाद भी उसका एक आशिक दूसरा था,
इक रोज तो मुझको भी देर से, आने की ज़रूरत थी|
मेरी तुरबत पे पहली दफा, इश्क-ऐ-इज़हार किया तुमने,
तुझको भी गिला है कि, जीते-जी जताने की ज़रूरत थी|
न दवा की हसरत थी, न दारू पुरानी हो अमन,
मुझे नज़र-ऐ-प्यार-ऐ-यार, पुराने की ज़रूरत थी|
गए ज़फर-आतिश, और गए वो ग़ालिब-मीर,
मुझे भी उस रेख्ते के ज़माने की ज़रूरत थी|
तेरी समझेगा 'अमन' कौन, इस राह में बातें?
उन्हीं के दौर में तुझको भी, जाने की ज़रूरत थी|
Meanings: नफरत-hate मज़ार-grave ज़रूरत-need इक रोज-some day
तुरबत-coffin पहली दफा-first time इज़हार-express गिला-sorrow
जीते-जी-while living दारू-wine नज़र-sight
नज़र-ए-प्यार-ए-यार-a look of beloved with love
ज़फर-Bahadur Shah 'Zafar' - II, आतिश-Khwaza Haider Ali 'Aatish'
ग़ालिब-Asadullah Mirza 'Ghalib', मीर-Mir Taki Mir
रेख्ता-A poetic form of urdu in mid 1800's दौर-times
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