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Wednesday, March 16, 2011

37) है आज क़यामत

है आज क़यामत, मेरे घर की हर इक ईंट ढह गयी,
माशूक खंजर लायी थी, पर मुझे बेवफा कह गयी|

आज की रात है बेखुदी, यारों मुझे अब मत पिलाओ,
वो दिख रही है हर जगह, यह गयी, वो वह गयी|

आशिक हूँ मैं, इक खत लिख कर कागज़ की नाव बनायी थी,
ऐ काश! उनको मिलती पर, बारिश में घिर कर बह गयी|

वो किसी और की हो गयी, मैं किसी का भी न हो सका,
हर बात मुझको तड़पती, हर याद को वो सह गयी|

जी रहा था चैन की एक साँस के इंतज़ार में,
चैन-ओ-'अमन' को पाना, मेरी हसरत बन कर रह गयी|

Meanings: क़यामत-catastrophe माशूक-beloved खंजर-dagger बेवफ़ा-infidel
         बेखुदी-unconsciousness अमन-peace (here, also the nom de plume)
         हसरत-wish

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