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Wednesday, March 2, 2011

32) हँसता हूँ जब कहती हो


हँसता हूँ जब कहती हो, कुछ हो नहीं सकता,
लगे दाग-ए-जिगर को, कोई धो नहीं सकता|

कैसा लगा है ये दिल, इक नादान अजनबी से?
जो रुला तो देता है खून, खुद रो नहीं सकता|

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