Words of Heart - دل کے الفاظ - हृदय के शब्द
Nitin Grewal - नितिन ग्रेवाल - نیتن گریوال
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Wednesday, March 2, 2011
32) हँसता हूँ जब कहती हो
हँसता हूँ जब कहती हो, कुछ हो नहीं सकता,
लगे दाग-ए-जिगर को, कोई धो नहीं सकता|
कैसा लगा है ये दिल, इक नादान अजनबी से?
जो रुला तो देता है खून, खुद रो नहीं सकता|
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