किसी कि छाँव में भी धुप के छेर होते हैं
सहारे कि चारपाई भी चुभ जाया करती है
प्यार के दिए से भी धुआं निकला करता है
आज कि दुनिया कि हर चीज़ में धोखा है
रंगीन रागों में भी खराश हुआ करती है
कलाकार कि कला में भी दाग हुआ करती है
मित्रता में भी एक स्वार्थ हुआ करता है
आज कि दुनिया कि हर चीज़ में धोखा है
किन्ही भी दो शिक्षाव में मतभेद हुआ करता है
भगवन कि नीति में भी गलती हो जाया करती है
पर किसी के सच में कोई दोष क्या निकाल दे
इसके सिवाए दुनिया कि हर चीज़ में धोखा है
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