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Tuesday, December 8, 2009

10) कविता ! तुम अंतिम हो (10 class)

कविता ! तुम अंतिम हो
'सुमन ' का 'सुमन ' से
'प्रेम ' का 'प्रेम ' से
और मेरा तुम से
सम्बन्ध कभी न टूटेगा
पर तुम अंतिम हो !!

तुम्हारे लिए ये कलम
आज तक चली
बही और बहती रही
आगे भी बहेगी
पर अब तुम्हारे लिए नहीं
इसीलिए तुम अंतिम हो

मुझे गुनेहगार समझो ना
तुम्हारे बारे में सोचने का
इसे इनकार समझो ना
पर तुम्हे लिखने का भी
इसे इज़हार समझो ना
इसीलिए तुम अंतिम हो !!!

तुम्हारी कीमत मेरे सिवाय
कि किसने , मानी किसने ?
तुम्हारी इज्ज़त मैं करता हू
पर नुमाईश से भी मैं ही डरता हू
तुम भी अंदर रोती होगी
इसीलिए तुम अंतिम हो !!

अब कभी न मैं रोऊंगा
न तू रोएगी
न तुझ में दाग होगा
न मुझ में आग होगी
न कागज़ होगा
न कलम होगी
फिर भी , दोनों एक दुसरे के साथ रहेंगे
और तुम मेरे दिल में रहोगी
सदा दफन
इसीलिए तुम अंतिम हो !!!

(Those days, I was mad after reciting my poems in front of people, and soon, I started mistaking that people used to ignore my poems, although it was not so. Hence, in anger, I decided to write my last poem ever. It wasn't my last poem. 10th class)

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