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Tuesday, December 8, 2009

14) क्या करेंगे (10th class)

आज न दुश्मन है अपना
न दोस्त है कोई
तो किलों को जीत कर क्या करेंगे?

अब तो तन्हाई में ही
रौनक लगती है
महफिलों को जीत कर क्या करेंगे?

मेरी हिम्मत पर मुझे
धब्बा नहीं लगवाना
बुजदिलों को जीत कर क्या करेंगे?

कभी नहीं मिली जो,
न नर्म पर , न सख्त पर
न देर से , न वक़्त पर
और आज जो मिली हैं वो ,
उन मंजिलों को जीत कर क्या करेंगे?

हमें प्यार है , उन्हें नफरत है
मेरा मिलन था , उन्हें फुरक़त है
और अगर उन्हें पाकर मेरा ही दिल टूटेगा
तो उन दिलों को जीत कर क्या करेंगे?

(Written in 10th class. My Hindi teacher, Respected Bhama ma'm hugged me closed to her heart when she heard this poem.)

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