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Saturday, December 5, 2009

2) रक्षाबंधन (Class IV)

आओ बहना राखी बंधो , भाई तैयार है
बाद में कुछ भी मांग लेना , पहले मेरा प्यार है
.
कच्चे धागे कि सौगंध तेरे भाई को है ,
तुझ में वो प्यार कि सुगंध आई जो है
कभी तू मुझसे दूर होएगी , कभी मैं ही दूर होऊंगा
तू मुझे राखी भेजेगी , मैं तुझे प्यार भेजूंगा
इस प्यार कि गंगा को हमें आगे ही बहाना है
हम दोनों के इस रिश्ते को हमें बखूबी निभाना है
...
(I wrote this poem in IV class. This was my eleventh poem)

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