आओ बहना राखी बंधो , भाई तैयार है
बाद में कुछ भी मांग लेना , पहले मेरा प्यार है
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कच्चे धागे कि सौगंध तेरे भाई को है ,
तुझ में वो प्यार कि सुगंध आई जो है
कभी तू मुझसे दूर होएगी , कभी मैं ही दूर होऊंगा
तू मुझे राखी भेजेगी , मैं तुझे प्यार भेजूंगा
इस प्यार कि गंगा को हमें आगे ही बहाना है
हम दोनों के इस रिश्ते को हमें बखूबी निभाना है
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(I wrote this poem in IV class. This was my eleventh poem)
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