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Saturday, December 5, 2009

1) My first poem ever - माँ (Class-II)

माता मेरी , दाता मेरी , हो तुम सबसे प्यारी ,
इस दुनिया में लगती हो तुम मुझे सबसे न्यारी
ऐसी ममता माता कि जग में नहीं मिल पाए
मुझे देख माँ , तुम्हारी आखों में प्यार भर आये .
माँ के हाथ का खाना मुझे बहुत अच्छा लगता है
पिता का प्यार माँ के सामने कच्चा कच्चा लगता है
माँ इस प्यार को तुम बरक़रार कर रख देना
लेकिन जब मैं बदमाश बनू , मुझे फटकार कर रख देना

(I wrote this poem in my second class. This was my first poem ever)

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